बस एक ख़ौफ़ था ज़िंदा तिरी जुदाई का By ख़ौफ़, जुदाई, Sher << दे इसे भी फ़रोग़-ए-हुस्न ... ध्यान में आ कर बैठ गए हो ... >> बस एक ख़ौफ़ था ज़िंदा तिरी जुदाई का मिरा वो आख़िरी दुश्मन भी आज मारा गया Share on: