बस एक ख़्वाब की सूरत कहीं है घर मेरा By Sher << हड्डियाँ बाप की गूदे से ह... कुछ समझ में मिरी नहीं आता >> बस एक ख़्वाब की सूरत कहीं है घर मेरा मकाँ के होते हुए ला-मकाँ के होते हुए Share on: