बस इस क़दर है ख़ुलासा मिरी कहानी का By Sher << ये क्या कि हर वक़्त जी-हु... बे-मसरफ़ बे-हासिल दुख >> बस इस क़दर है ख़ुलासा मिरी कहानी का कि बन के टूट गया इक हबाब पानी का Share on: