बस रंज की है दास्ताँ उन्वान हज़ारों By Sher << दवाम पाएगा इक रोज़ हक़ ज़... बार-हा ख़ुद पे मैं हैरान ... >> बस रंज की है दास्ताँ उन्वान हज़ारों जीने के लिए मर गए इंसान हज़ारों Share on: