बस यूँही हम-सरी-ए-अहल-ए-जहाँ मुमकिन है By Sher << मैं अपने जिस्म के अंदर न ... जब भी आता है वो मेरे ध्या... >> बस यूँही हम-सरी-ए-अहल-ए-जहाँ मुमकिन है दम-ब-दम अपनी बुलंदी से उतरता जाऊँ Share on: