बसान-ए-नक़्श-ए-क़दम तेरे दर से अहल-ए-वफ़ा By Sher << पढ़ते थे किताबों में क़या... आँखों में शब उतर गई ख़्वा... >> बसान-ए-नक़्श-ए-क़दम तेरे दर से अहल-ए-वफ़ा उठाते सर नहीं हरगिज़ तबाह के मारे Share on: