रुक गया हाथ तिरा क्यूँ 'बासिर' By Sher << दिल ने तमन्ना की थी जिस क... अपने अपने घर जा कर सुख की... >> रुक गया हाथ तिरा क्यूँ 'बासिर' कोई काँटा तो न था फूलों में Share on: