बस्ती तमाम ख़्वाब की वीरान हो गई By Sher << इक धमाके से न फट जाए कहीं... ये अलामत कौन सी है किस से... >> बस्ती तमाम ख़्वाब की वीरान हो गई यूँ ख़त्म शब हुई सहर आसान हो गई Share on: