बेहतर था टूटता किसी गुलचीं के हाथ से By Sher << वो हाथ मार पलट कर जो कर द... बैठा था आ के क़ैस तो लैला... >> बेहतर था टूटता किसी गुलचीं के हाथ से वो फूल हूँ कि शाख़ पे मुरझा रहा हूँ मैं would be better had i been plucked off it somehow i am the flower that is wilting untouched on the bough Share on: