बे-ज़बानी ज़बाँ न हो जाए By Sher << ये गुल खिल रहा है वो मुरझ... बस-कि हों मिल्लत-ओ-मज़हब ... >> बे-ज़बानी ज़बाँ न हो जाए राज़-ए-उल्फ़त अयाँ न हो जाए Share on: