बे-क़रारी थी सब उम्मीद-ए-मुलाक़ात के साथ By Sher << ख़ुदा से तिरा चाहना चाहता... दिल आया है क़यामत है मिरा... >> बे-क़रारी थी सब उम्मीद-ए-मुलाक़ात के साथ अब वो अगली सी दराज़ी शब-ए-हिज्राँ में नहीं Share on: