मेरा हर शेर है इक राज़-ए-हक़ीक़त 'बेख़ुद' By Sher << क्या करूँगा ले के वाइज़ ह... किस का है इंतिज़ार कहाँ ध... >> मेरा हर शेर है इक राज़-ए-हक़ीक़त 'बेख़ुद' मैं हूँ उर्दू का 'नज़ीरी' मुझे तू क्या समझा Share on: