बे-नाम से इक ख़ौफ़ से दिल क्यूँ है परेशाँ By Sher << है ईद मय-कदे को चलो देखता... फिर मिरी आँख हो गई नमनाक >> बे-नाम से इक ख़ौफ़ से दिल क्यूँ है परेशाँ जब तय है कि कुछ वक़्त से पहले नहीं होगा Share on: