बे-सूरत बे-जिस्म आवाज़ें अंदर भेज रही हैं हवाएँ By Sher << हम तो तिरे ज़िक्र का हुए ... हम एक जाँ ही सही दिल तो अ... >> बे-सूरत बे-जिस्म आवाज़ें अंदर भेज रही हैं हवाएँ बंद हैं कमरे के दरवाज़े लेकिन खिड़की खुली हुई है Share on: