बेताबी-ए-हयात में आसूदगी भी थी By Sher << माँ ने लिखा है ख़त में जह... इंसान हादसात से कितना क़र... >> बेताबी-ए-हयात में आसूदगी भी थी कुछ तेरा ग़म भी था ग़म-ए-दौराँ के साथ साथ Share on: