बे-तकल्लुफ़ आ गया वो मह दम-ए-फ़िक्र-ए-सुख़न By Sher << मेरी तरह से ये भी सताया ह... दिन सलीक़े से उगा रात ठिक... >> बे-तकल्लुफ़ आ गया वो मह दम-ए-फ़िक्र-ए-सुख़न रह गया पास-ए-अदब से क़ाफ़िया आदाब का Share on: