भरा है शीशा-ए-दिल को नई मोहब्बत से By Sher << बुत-ख़ाना तोड़ डालिए मस्ज... बे-गिनती बोसे लेंगे रुख़-... >> भरा है शीशा-ए-दिल को नई मोहब्बत से ख़ुदा का घर था जहाँ वाँ शराब-ख़ाना हुआ Share on: