भटकती है हवस दिन-रात सोने की दुकानों पर By Sher << दहलीज़ पर सर खोले खड़ी हो... भटकती है हवस दिन-रात सोने... >> भटकती है हवस दिन-रात सोने की दुकानों पर ग़रीबी कान छिदवाती है तिनका डाल लेती है Share on: