भँवर से ये जो मुझे बादबान खींचता है By Sher << हर शक्ल रफ़्ता रफ़्ता अंज... बोले कि तुझ को दीन की इस्... >> भँवर से ये जो मुझे बादबान खींचता है ज़रूर कोई हवाओं के कान खींचता है Share on: