भूल कर भी कोई लेता नहीं अब नाम-ए-वफ़ा By Sher << उठते जाते हैं बज़्म-ए-आलम... ज़मीं से उट्ठी है या चर्ख... >> भूल कर भी कोई लेता नहीं अब नाम-ए-वफ़ा इश्क़ इस शहर में गर्दन-ज़दनी हो जैसे Share on: