भूले-बिसरे हुए ग़म फिर उभर आते हैं कई By Sher << बस पा-ए-जुनूँ सैर-ए-बयाबा... कमी कमी सी थी कुछ रंग-ओ-ब... >> भूले-बिसरे हुए ग़म फिर उभर आते हैं कई आईना देखें तो चेहरे नज़र आते हैं कई Share on: