बिछड़ के तुझ से मुझे है उमीद मिलने की By उम्मीद, Sher << जान पर अपनी हाए क्यूँ बनत... आगे मेरे न तीखी मार ऐ शैख... >> बिछड़ के तुझ से मुझे है उमीद मिलने की सुना है रूह को आना है फिर बदन की तरफ़ Share on: