बिछड़े मुझ से इस तरह वो ज़िंदगी के हम-सफ़र By Sher << छोड़ आते हैं हर जानिब कुछ... भेस में मसर्रत के ग़म कही... >> बिछड़े मुझ से इस तरह वो ज़िंदगी के हम-सफ़र बुझ गए हों जलते जलते जैसे रस्ते के चराग़ Share on: