बुत-परस्ती में भी भूली न मुझे याद-ए-ख़ुदा By Sher << चला है छोड़ के तन्हा किधर... बे-सबब ग़ुंचे चटकते नहीं ... >> बुत-परस्ती में भी भूली न मुझे याद-ए-ख़ुदा हाथ में सुब्हा गले में मिरे ज़ुन्नार रहा Share on: