चल ऐ हम-दम ज़रा साज़-ए-तरब की छेड़ भी सुन लें By Sher << हम गदा-ए-दर-ए-मय-ख़ाना है... मैं उसे कैसे जीत सकता हूँ >> चल ऐ हम-दम ज़रा साज़-ए-तरब की छेड़ भी सुन लें अगर दिल बैठ जाएगा तो उठ आएँगे महफ़िल से Share on: