चला घर से वो बहर-ए-हुस्न अल्लाह रे कशिश दिल की By Sher << गोशे आँचल के तिरे सीने पर चश्म-ए-लैला का जो आलम है ... >> चला घर से वो बहर-ए-हुस्न अल्लाह रे कशिश दिल की अजब क़तरा है जो खींचे लिए जाता है दरिया को Share on: