चमन ख़राब किया, हो ख़िज़ाँ का ख़ाना-ख़राब By Sher << क्या जाने किस अदा से लिया... समझेगा आदमी को वहाँ कौन आ... >> चमन ख़राब किया, हो ख़िज़ाँ का ख़ाना-ख़राब न गुल रहा है न बुलबुल है बाग़बाँ तन्हा Share on: