चमन में रखते हैं काँटे भी इक मक़ाम ऐ दोस्त By Sher << ठोकर किसी पत्थर से अगर खा... रातें सारी करवट में ही बी... >> चमन में रखते हैं काँटे भी इक मक़ाम ऐ दोस्त फ़क़त गुलों से ही गुलशन की आबरू तो नहीं Share on: