चंद बेनाम-ओ-निशाँ क़ब्रों का By Sher << कितने ही ग़म निखरने लगते ... मुस्कुराने का फ़न तो बअ&#... >> चंद बेनाम-ओ-निशाँ क़ब्रों का मैं अज़ा-दार हूँ या है मिरा दिल Share on: