चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ By Sher << ये नज़्म-ए-आईं ये तर्ज़-ए... तेरे आने का एहतिमाल रहा >> चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ Share on: