चंद लम्हों के लिए एक मुलाक़ात रही By Sher << ख़ून-ए-उश्शाक़ का उठा बीड़... अज़ाब-ए-दानिश-ए-हाज़िर से... >> चंद लम्हों के लिए एक मुलाक़ात रही फिर न वो तू न वो मैं और न वो रात रही Share on: