चंद लोगों की मोहब्बत भी ग़नीमत है मियाँ By Sher << चढ़ते सूरज की मुदारात से ... बहुत रोई हुई लगती हैं आँख... >> चंद लोगों की मोहब्बत भी ग़नीमत है मियाँ शहर का शहर हमारा तो नहीं हो सकता Share on: