चराग़ बन के जली थी मैं जिस की महफ़िल में By Sher << चराग़ों ने हमारे साए लम्ब... चमन पे बस न चला वर्ना ये ... >> चराग़ बन के जली थी मैं जिस की महफ़िल में उसे रुला तो गया कम से कम धुआँ मेरा Share on: