चश्म वा रह गई देखा जो तिलिस्मात-ए-जहाँ By Sher << इश्क़ के शोले को भड़काओ क... कैसे कहूँ कि मैं ने कहाँ ... >> चश्म वा रह गई देखा जो तिलिस्मात-ए-जहाँ आइना बन गए हम महव-ए-तमाशा हो कर Share on: