छोड़ कर तस्बीह ली ज़ुन्नार उस बुत के लिए By Sher << चुपके चुपके रोते हैं मुँह... चली जाती है तू ऐ उम्र-ए-र... >> छोड़ कर तस्बीह ली ज़ुन्नार उस बुत के लिए थे तो अहल-ए-दीं पर इस दिल ने बरहमन कर दिया Share on: