छोड़ा न एक लहज़ा तिरी ज़ुल्फ़ ने ख़याल By Sher << हैरान हूँ कि पीर-ए-मुग़ाँ... वो ख़ुदा जाने घर में हैं ... >> छोड़ा न एक लहज़ा तिरी ज़ुल्फ़ ने ख़याल रुख़ से जुदा हुई तो गले से लिपट गई Share on: