छुप जाएँ कहीं आ कि बहुत तेज़ है बारिश By Sher << बस नहीं चलता है वर्ना अपन... हमारी देखियो ग़फ़लत न समझ... >> छुप जाएँ कहीं आ कि बहुत तेज़ है बारिश ये मेरे तिरे जिस्म तो मिट्टी के बने हैं Share on: