छूटता है एक तो फँसते हैं आ कर इस में दो By Sher << मैं गिरफ़्तार हूँ तिरे मु... मैं शर की शरारत से तो होश... >> छूटता है एक तो फँसते हैं आ कर इस में दो आज-कल है गर्म-तर क्या ख़ूब बाज़ार-ए-क़फ़स Share on: