चुभेंगे ज़ीरा-हा-ए-शीशा-ए-दिल दस्त-ए-नाज़ुक में By Sher << मुझे ये ज़िद है कभी चाँद ... शुक्रिया रेशमी दिलासे का >> चुभेंगे ज़ीरा-हा-ए-शीशा-ए-दिल दस्त-ए-नाज़ुक में सँभल कर हाथ डाला कीजिए मेरे गरेबाँ पर Share on: