चूमने के लिए थाम रख्खूँ कोई दम वो हाथ By Sher << खाँसती मद्धम सी इक आवाज़ ... क़ातिल तो सीना तान के चलत... >> चूमने के लिए थाम रख्खूँ कोई दम वो हाथ और वो पाँव रंग-ए-हिना के लिए छोड़ दूँ Share on: