चुपके चुपके उठ रहा है मध-भरे सीनों में दर्द By Sher << ज़माने भर से उलझते हैं जि... मिरे वजूद में शामिल था वो... >> चुपके चुपके उठ रहा है मध-भरे सीनों में दर्द धीमे धीमे चल रही हैं इश्क़ की पुरवाइयाँ Share on: