ग़ज़ब है मुद्दई जो हो वही फिर मुद्दआ' ठहरे By Sher << ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे... ग़श खा के 'दाग़' ... >> ग़ज़ब है मुद्दई जो हो वही फिर मुद्दआ' ठहरे जो अपना दुश्मन-ए-दिल हो वही दिल की दवा ठहरे Share on: