दहलीज़ पे रख दी हैं किसी शख़्स ने आँखें By Sher << क्यूँ चमक उठती है बिजली ब... जब कभी देखा है ऐ 'ज़ै... >> दहलीज़ पे रख दी हैं किसी शख़्स ने आँखें रौशन कभी इतना तो दिया हो नहीं सकता Share on: