दहशत-ज़दा ज़मीं पर वहशत भरे मकाँ ये By Sher << अबस दिल बे-कसी पे अपनी अप... सब की नज़रों में हो साक़ी... >> दहशत-ज़दा ज़मीं पर वहशत भरे मकाँ ये इस शहर-ए-बे-अमाँ का आख़िर कोई ख़ुदा है Share on: