दामन के चाक सीने को बैठे हैं जब भी हम By Sher << सदा किसे दें 'नईमी... बसी है सूखे गुलाबों की बा... >> दामन के चाक सीने को बैठे हैं जब भी हम क्यूँ बार बार सूई से धागा निकल गया Share on: