दम-ए-विसाल तिरी आँच इस तरह आई By Sher << नीची नज़रों से कर दिया घा... किताब-ए-ख़ाक पढ़ी ज़लज़ले... >> दम-ए-विसाल तिरी आँच इस तरह आई कि जैसे आग सुलगने लगे गुलाबों में Share on: