दाम-ओ-क़फ़स न चाहिए दिल के शिकार कूँ By Sher << मुझ को तो ख़ून-ए-दिल ही प... सूरज से उस का नाम-ओ-नसब प... >> दाम-ओ-क़फ़स न चाहिए दिल के शिकार कूँ करती हैं बंद आँख के डोरों की डोरियाँ Share on: