डर रहा हूँ कि सर-ए-शाम तिरी आँखों में By Sher << नगर नगर में नई बस्तियाँ ब... जज़्बों को ज़बान दे रहा ह... >> डर रहा हूँ कि सर-ए-शाम तिरी आँखों में मैं ने जो वक़्त गुज़ारा है कोई देख न ले Share on: