दरख़्तों पर परिंदे लौट आना चाहते हैं By Sher << दिल को तो बहुत पहले से धड... चाँद बन कर चमकने वाले ने >> दरख़्तों पर परिंदे लौट आना चाहते हैं ख़िज़ाँ-रुत का गुज़र जाना ज़रूरी हो गया है Share on: