दस बारा ग़ज़लियात जो रखता है जेब में By Sher << दे रहे हैं इस लिए जंगल मे... केबल पे एक शेल्फ़ से जल्द... >> दस बारा ग़ज़लियात जो रखता है जेब में बज़्म-ए-सुख़न में है वो निशानी वबाल की Share on: